भारत का राष्ट्रीय ध्वज (National Flag of India) तीन रंगों से मिलकर बनता है। इसलिए इसे तिरंगा कहा जाता है । यह तीन रंग ऊपर से क्रमशः केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी होती है। सफेद रंग की पट्टी के बिल्कुल मध्य में नीले रंग से अशोक चक्र बना है। जिसमें 24 तीलियां है। झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होता है। आज हम आपको राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा से जुड़े सवाल और जवाब के बारे में बताएंगे ।
Table of Contents
तिरंगे के तीनों रंग किसके प्रतीक है
ध्वज का
- केसरिया रंग त्याग और बलिदान का
- सफेद रंग शांति, एकता और सच्चाई का
- हरा रंग विश्वास, उर्वरता और खुशहाली का
अशोक चक्र और इसका नीला रंग किसका प्रतीक है
तिरंगे के बीचो बीच बना नीला चक्र जिसे अशोक चक्र भी कहा जाता है। यह निरंतर गतिशील रहने का प्रतीक है । अशोक चक्र नीले रंग से बना हुआ है। इसका नीला रंग आकाश , महासागर और सार्वभौमिक सत्य को प्रदर्शित करता है ।
कहां से लिया गया है अशोक चक्र
अशोक चक्र को सारनाथ में स्थापित शेर स्तंभ से लिया गया है
अशोक चक्र में बनी 24 तीलियां किसकी प्रतीक हैं
राष्ट्रीय ध्वज के अशोक चक्र में बनी 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती है । सम्राट अशोक द्वारा बने हुए शिलालेखों में भी इस तरह का चक्र बना हुआ दिखाई देता है। जो उन्होंने धर्म के उपदेश देने हेतु स्थापित किए गए थे।
अशोक चक्र में अंकित 24 तीलियां की तुलना मनुष्य के लिए बनाए गए 24 धर्म मार्ग से की जाती है । इसलिए अशोक चक्र को धर्म चक्र भी कहा जाता है । यह चक्र हमें बताता है कि चलते रहना ही जीवन है और रुक जाना मृत्यु। इसलिए यह कर्तव्य का पहिया भी कहलाता है ।
24 तीलियां मनुष्य के कौन-कौन से 24 गुण दर्शाती है
1.संयम 2.आरोग्य 3.शांति 4.त्याग 5.शील 6.सेवा 7.क्षमा 8. प्रेम 9.मैत्री 10.बंधुत्व 11.संगठन 12.कल्याण 13.समृद्धि 14.उद्योग 15.सुरक्षा 16. नियम 17.समता 18.अर्थ 19.नीति 20.न्याय 21.सहकारी 22.कर्तव्य 23.अधिकार 24.बुद्धिमता
कब और किसने डिजाइन किया राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का डिज़ाइन पिंगली वेंकैया द्वारा तैयार किया गया था । पिंगली वेंकैया ने 1916 से 1921 तक लगभग 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया । 1921 में पिंगली वेंकैया द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किया गया था।
क्या अंतर है वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज और पिंगली वेंकैया के द्वारा बनाए गए ध्वज में
पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किए गए राष्ट्रीय ध्वज में लाल, हरा और सफेद रंग के मध्य में चरखे का चिन्ह था । लाल व हरा रंग क्रमशः हिंदू और मुस्लिम धर्म का प्रतीक था। सफेद रंग को अन्य धर्मों के प्रतीक के तौर पर प्रस्तुत किया गया था। लेकिन 1931 में एक प्रस्ताव द्वारा लाल रंग के स्थान पर ध्वज में केसरिया रंग अपना लिया गया था।
कौन थे पिंगली वेंकैया
पिंगली वेंकैया आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के पास एक गांव के रहने वाले थे। यह ब्रिटिश आर्मी में सेना नायक थे ।उन्होंने ब्रिटिश सरकार की ओर से दक्षिणी अफ्रीका में एंग्लो – बोआर युद्ध में भाग लिया था। यही पहली बार इनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी । इस मुलाकात के बाद पिंगली वेंकैया में बदलाव आया और वे स्वदेश लौट गए । बाद में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष में उन्होंने अपना योगदान दिया। 45 वर्ष की उम्र में उन्होंने भारत के राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन किया था।
कब अपनाया गया राष्ट्रीय ध्वज को
भारत के राष्ट्रीय ध्वज को संविधान सभा द्वारा 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। तब से लेकर आज तक प्रत्येक 26 जनवरी और 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराया जाता हैं ।
राष्ट्रीय झंडा संहिता , 2002 क्या है
सभी भारतीयों के मन में राष्ट्रीय ध्वज के लिए आदर,प्रेम और निष्ठा है। लेकिन अक्सर यह देखने को मिलता है कि राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के लिए जो नियम और औपचारिकता हैं उसकी जानकारी न तो आम जनता को है और न ही सरकारी संगठनों को।
सरकार द्वारा समय-समय पर जारी असांविधिक निर्देशों, संप्रतिक और नाम ( अनुचित प्रयोग का निवारण )अधिनियम, 1950 , राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के उपबंधों के तहत राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन नियंत्रित होता हैं।
सरकार द्वारा सभी के मार्गदर्शन और हित के लिए भारतीय झंडा संहिता, 2002 में सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया हैं।
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राष्ट्रीय झंडा संहिता, 2002 को तीन भागों में बांटा गया हैं। इसके प्रथम भाग में राष्ट्रीय झंडे के बारे में सामान्य विवरण दिया गया है। दूसरे भाग में आम जनता, निजी संगठनों और शैक्षणिक संस्थाओं आदि द्वारा राष्ट्रीय झंडा फहराए जाने से संबंधित नियम और औपचारिकताओं का विवरण है। तीसरे भाग में केंद्र और राज्य सरकारों तथा उनके संगठनों व एजेंसियों द्वारा राष्ट्रीय झंडा फहराए जाने से संबंधित संहिता का विवरण दिया गया है।
राष्ट्रीय झंडा संहिता 2002 के मुख्य बिंदु
राष्ट्रीय झंडा संहिता 2002 में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को किस प्रकार फहराया जाए। इसको फहराते समय क्या- क्या सावधानी रखनी चाहिए। राष्ट्रीय झंडे का उपयोग कहां – कहां किया जा सकता है।किस प्रकार का उपयोग वर्जित है । इसका विस्तार पूर्वक वर्णन दिया गया है। यहा हम केवल राष्ट्रीय झंडा संहिता 2002 के मुख्य बिंदु के बारे में बताएंगे
- भारत का राष्ट्रीय झंडा हाथ से कता हुआ और हाथ से बनाए गए ऊनी/ सूती/ सिल्क खादी कपड़े से बना होगा ।
- झंडा आयताकार होगा और लंबाई चौड़ाई का अनुपात 3:2 होगा ।
- किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए झंडे को झुकाया नहीं जाएगा।
- झंडे का प्रयोग किसी भी प्रकार की पोशाक या वर्दी के किसी भाग के रूप में नहीं किया जाएगा।
- झंडे पर किसी भी प्रकार के अक्षर नहीं लिखे जाएंगे ।
- झंडे को किसी वस्तु के लेने, देने, पकड़ने अथवा ले जाने के आधार के रूप में प्रयोग नहीं किया जाएगा।
- झंडे को जानबूझकर जमीन अथवा फर्श को छूने अथवा पानी में डूबने नहीं दिया जाएगा।
- झंडे को जानबूझकर ” केसरिया” रंग को नीचे प्रदर्शित करते हुए नहीं फहराया जाएगा।
- जब कभी भी राष्ट्रीय झंडा फहराया जाए तो उसकी स्थिति सम्मान पूर्ण और विशिष्ट होनी चाहिए। उसे ऐसी जगह लगाया जाना चाहिए जहां यह साफ-साफ दिखाई दे सके ।
- राज्य/ सेना / केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की ओर से किए जाने वाले मृतक संस्कारों के अलावा झंडे का प्रयोग किसी भी रूप में लपेटने के लिए नहीं किया जाएगा ।
- झंडे को सूर्योदय से सूर्यास्त तक पर आ जाना चाहिए
- झंडा किसी भी रूप में विज्ञापन के काम में नहीं लाया जाएगा।
- जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे फेंका नहीं जाएगा बल्कि सम्मान एकांत में पूरा नष्ट कर देना चाहिए या जला देना चाहिए।
- झंडे को सदा तेजी के साथ ऊपर चढ़ाया जाएगा और धीरे-धीरे एवं आदर के साथ नीचे उतारा जाएगा।
- यदि राष्ट्र झंडा दूसरे राष्ट्रों के झंडों के साथ एक सीधी पंक्ति में फहराया जाता है तो उसे सबसे दाईं ओर रखा जाएगा ।
- राष्ट्रीय झंडा दूसरों झंडों के साथ फहराया जाएगा तो सारे ध्वज-दंड बराबर आकार के होंगे।
क्या आम आदमी अपने घर पर झंडा फहरा सकता है
वर्ष 2002 से भारत के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार मिल गया है कि वह किसी भी दिन अपने घर पर सम्मान राष्ट्रीय झंडा फैला सकता है।
कब और कैसे मिला आम आदमी को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने का अधिकार
उद्योगपति नवीन जिंदल वर्ष 1992 में अमेरिका से पढ़ाई करके भारत लौटे थे । इन्हें अपने देश के राष्ट्रीय ध्वज से विशेष प्रेम था। वर्ष 1992 में इन्होंने अपने कारखाने में प्रतिदिन राष्ट्रीय ध्वज फहराना शुरू किया। जिला प्रशासन ने उन्हें ऐसा करने से मना किया। लेकिन जिंदल ने तिरंगा फहराना जारी रखा । इसलिए जिला प्रशासन ने इन्हें दंडित करने की चेतावनी दी ।
नवीन जिंदल ने प्रशासन के इस निर्णय के खिलाफ पहले दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। नवीन जिंदल ने 7 वर्ष तक कानूनी लड़ाई लड़ी और अंत में इनको न्याय मिला। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 26 जनवरी 2202 को दिए गए निर्णय के बाद भारत सरकार ने राष्ट्रीय झंडा संहिता में संशोधन करवा कर भारत के सभी नागरिकों को राष्ट्रीय झण्डा फहराने का अधिकार दे दिया ।बशर्त यह रखी गई कि राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के क्रम में राष्ट्र ध्वज की प्रतिष्ठा और गरिमा बरकरार रहे।किसी भी स्थिति में इसका अपमान नहीं होना चाहिए।
क्या रात में राष्ट्रीय झंडा फहराया जा सकता है
उद्योगपति सांसद नवीन जिंदल द्वारा जून 2009 में गृह मंत्रालय को रात्रि में झंडा फहराने से संबंधित प्रस्ताव भेजा । इसमें उन्होंने लिखा कि कई देशों में 100 फीट से बड़े ध्वज दंड पर रात्रि में भी उन देशो का झंडा फहराया जाता है । जिसे गृह मंत्रालय द्वारा स्वीकार कर लिया गया। रात को झंडा फहराने की शर्त यह होगी कि झंडे का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमके।
नवीन जिंदल के प्रयासों से भारत का प्रत्येक नागरिक 12 महीने और 24 घंटे भारत का राष्ट्रीय झंडा फहरा सकता है। बशर्त यह है कि राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान और प्रतिष्ठा को नुकसान न पहुंचे।
Good information
Thanks