Monday, May 20, 2024
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योग पर निबंध

योग आजकल सभी के जीवन का हिस्सा बन गया हैं। शहर हो या गांव सभी जगह योग का बोलचाल  हैं। कई प्रतियोगी परीक्षाओं में योग पर निबंध लेखन को कहा जाता हैं। इसलिए हम आपके लिए 2500 शब्दों का निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं।

प्रस्तावना :- वर्तमान समय प्रतिस्पर्धा का है। प्रतिस्पर्धा के चक्कर में मानव जीवन हाई-स्पीड ट्रेन की भांति समय दर समय दौड़ता प्रतीत हो रहा है। इस विशेष जीवन शैली को जीवन में अंगीकार करने से मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आज हर आय वर्ग का मनुष्य शुगर, उच्च रक्तचाप एवं मानसिक तनाव से पीड़ित है। इन रोगों के कुप्रभाव से बचने के लिये जो दवाएँ सेवन की जा रही है, वे भी मनुष्य के अन्य अँगो को प्रभावित कर रही है।

दवा खाएँ या नहीं, यह भी विस्मयकारी प्रश्न समाज में बन गया है। तनाव मुक्त जिंदगी जीने का एक मात्र उपाय है- ‘योग साधना। प्रातः काल एवं सायंकाल के केवल 30 मिनिट आपके जीवन में अविश्वसनीय परिवर्तन के लिये काफी है।

वर्तमान मनुष्य जीवन में तनाव का अस्तित्व

एक बहुत पुरानी कहावत है कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का वास होता है, अर्थात हम अगर किसी प्रकार के रोग से ग्रस्त है तो यह बेहद मुश्किल है कि हमारा मस्तिस्क पूर्णतया स्वस्थ होगा। लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आधुनिक शहरी वातावरण व बेतहासा भागदौड़ से भरे जीवन में हम अनेक प्रकार के तनावों से ग्रसित रहते हैं। सबसे पहले हम तनाव के प्रमुख कारणों पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हैं। शहरी जीवन में दिन की शुरुआत ही में मन अनेक प्रकार की उलझनों में फँसा रहता है। बच्चों का तैयार कर उन्हें सुबह तड़के ही स्कूल के लिए भेजना, फिर खुद शहर को भीड़ और यातायात के जाम से जूझते हुए काम पर पहुंचना । ऑफिस की माथापच्ची के अलावा ढेरों तरह की जिम्मेदारियों जैसे बिलों का भुगतान, लोन की अदायगी, गला-काट आगे निकलने की दौड़ तथा वातावरण प्रदूषण इत्यादि अनेकों ऐसी वजह हैं जिनका

नतीजा यह होता है कि हम अनेकों तरह की शहरी बिमारियों जैसे कि उच्च रक्तचाप, मानसिक तनाव व हृदय की बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। इस जीवन की आपा-धापी में हम अपने लिए समय निकालना जैसे कि भूल ही जाते हैं। जैसा कि सर्वविदित है मन की एकाग्रता व शांति के लिए योग साधना से अच्छा कोई दूसरा उपाय नहीं है। तनाव से मनुष्य जीवन एक विषैले पेय पदार्थ की तरह हो गया है जिसे पीना भी जरूरी है एवं पीने के बाद कड़वाहट महसूस करना भी जरूरी है।

तनाव से मनुष्य जीवन में प्रभाव

तनाव से मानव जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यदि स्वास्थ्य पर बात की जाये तो वर्तमान में प्रचलित मुख्य व्याधियाँ यथा उच्च रक्तचाप, मधुमेह, थॉयराइड, हृदयाघात आदि तनाव की ही देन है। तनाव से व्यक्ति चिड़चिडा भी हो जाता है एवं क्रोधावेश में भी जल्दी आ जाता है। स्वभाव परिवर्तन से जहां परिवार जन तो पीडित होते ही है, कार्य स्थल एवं सामाजिक संपर्क के लोग भी दूरी बना लेते हैं। परिणाम कभी-कभी यह होता है तो कि व्यक्ति में एकान्त रहने की प्रवृति जन्म ले लेती है एवं मानसिक रोगों से पीडित भी हो जाता है। कभी-कभी तनाव से अनिद्रा रोग भी हो जाता है जिससे अन्य रोग भी व्यक्ति को घेर लेते है। कुल मिलाकर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि तनाव ही मनुष्य जीवन के पतन का प्रमुख मूल है।

तनाव  मुक्ति हेतु ली जा रही दवाओं का प्रभाव

तनाव से मुक्ति हेतु ली जा रही दवाएं प्रभाव तो डालती है पर बहुत ही न्यून मात्रा में इसके विपरीत तंत्रिकातंत्र को बिगाड़ देती है। कई दवाओं का तो मनुष्य की किडनी एवं पाचन तंत्र पर इतना बुरा प्रभाव पड़ता है कि जीवन कष्टमय हो जाता है। ये दवाएँ मनुष्य को आर्थिक रूप से कमजोर करने के साथ शारीरिक रूप से भी निष्क्रिय करना शुरू कर देती है। कभी-कभी दवाओं एवं तनाव की असंतुलित मात्रा होने से पक्षाघात भी हो जाता है जोकि मनुष्य को मृत प्राय बना देता है।

वर्तमान जीवन शैली में योग साधना का महत्व

इस कष्टमय निदान से बचने का सबसे सुरक्षित एवं प्राकृतिक साधन है, योग। योग कोई वर्तमान युग का अविष्कार नहीं है यह तो वेदकाल की उपज है जो महर्षि पतंजलि द्वारा भारतवर्ष के बाशिंदो को परिचित करवाई गई। योग की कुछ क्रियाओं से मनुष्य के अनेकों रोगों का निदान योग में समाया हुआ है। बीते कुछ वर्षों में योग ने भारतवर्ष में लोगों की जीवन शैली में अपना अनूठा स्थान बना लिया है। आज प्रात:काल हमारे आस-पास के उद्यानों में लोगों का झुण्ड योग करते हुये देखा जा सकता है।

योगासन से लोग अपने जीवन के तनाव को कुछ हद तक मिटा चुके है एवं स्वस्थ जीवन की परिकल्पना साकार लगने लगी है। लोगों ने कुछ योग क्रियाओं को जीवन में अपनाकर ऐलोपैथिक दवाओं के प्रतिदिन सेवन से मुक्ति पाई है। जीवन तनाव मुक्त बना है एवं शारीरिक रूप से सुदृढ बन रहे हैं। आज पूरे विश्व में योग के प्रति आस्था अत्यन्त अनुसरणीय विषय बन गई है। “योग भगाये रोग” तथा ‘योगा से ही होगा’ जीवन के मंत्र बन गये है।

योग शिक्षा का महत्व

जीवन में योग साधना अपनाने के लिये आवश्यक है कि बच्चों को विद्यार्थी जीवन से ही योग शिक्षा दी जाये क्योंकि योग का प्रभाव तभी होगा जब वह सही विधि से किया जाये। भारतवर्ष में सरकार को चाहिये कि योग शिक्षा अनिवार्य विषय के रूप में विद्यालयों में अध्ययन कराई जानी चाहिए। अधूरा योग ज्ञान मनुष्य के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालेगा

भारत वर्ष में योग

भारत वर्ष ऋषि-मुनियों का देश रहा है तथा समूचे विश्व को योग साधना का ज्ञान भारत वर्ष से ही प्राप्त हुआ है। योग साधना मूल रूप से मनुष्य को दो तरह से फायदा पहुँचाती है एक तो साधना से मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ती है जिससे कि उसे तनाव मुक्त रखने में बड़ी सहायता मिलती है। साथ ही साथ योग से पूरे तन को अलग-अलग आसनों से पूरा व्यायाम मिलता है। अनेकों तरह के आसनों का विवरण योग से संबंधित ग्रंथों एवं पुस्तकों में दिया गया है, जिनके अलग-अलग तरह के फायदों का विवरण भी दिया गया होता है। योग साधना को यदि प्रातः काल में खाली पेट किया जाए तो बहुत असर कारक होता है।

पुस्तकों एवं इंटरनेट पर हमें अनेकों प्रकार के योग एवं उनसे होने वाले लाभ का विवरण बड़ी आसानी से मिल सकता है। या तो हम शुरूआत में पुस्तक में दिये गये निर्देशों के अनुसार योग कर सकते हैं या फिर किसी प्रशिक्षित व्यक्ति की देख-रेख में भी कर सकते हैं। बहुत से आसान जैसे शीर्षाशन, मयूरासन, पश्चिमोतानासन, भुजगांसन चक्रासन, गरुड़ासन, मत्स्य आसान इत्यादि हमारे तन एवं मन को स्फूर्ति एवं शांति प्रदान करते है। योग साधना के महत्व को समझते हुए यदि हम प्रति दिन कम से कम एक घंटा भी इसके लिए निकाल ले तो हम कुछ ही दिनों में हमारे तन व मन पर इसके पड़ने वाले कुप्रभाव का असर देख सकते है।

साधना से मन की एकाग्रता बढ़ती है तथा हमारा चित्त शांत रहता है जिससे कि बेवजह आने वाले क्रोध को वश में किया जा सकता है। अनेकों तरह की बीमारियां तो क्रोध से ही उत्पन्न होती है जिन्हें हम नियमित योग साधना से काबू में रख सकते योग साधना से एक और फायदा यह होता है कि इससे हमारा मन शांत व वश में रहता है जिससे हम इस तरह के खान-पान से स्वयं को बचा सकते हैं जोकि हमारी सेहत के लिए हानिकारक होता है, जिसे हम सिर्फ अपनी जीभ के स्वाद के लिये खाते हैं।

सौ बातों की एक बात यह है कि योग साधना से हमारा तन व मन स्वस्थ रहता है, हम अपनी अच्छी सेहत के प्रति सजग रहते है तथा स्वस्थ एवं सात्विक तथा पौष्टिक भोजन ग्रहण करने की कोशिश करनी है। जब हमारा तन व मन स्वस्थ रहता है तथा साधना से मन की एकाग्रता में वृद्धि होती है तो निश्चित ही हम एक तनाव मुक्त स्वस्थ जिंदगी जी सकते हैं।

योग का महत्व वैदिक काल से ही रहा है, भगवान शिव से लेकर योग ऋषि मुनियों तक उसके बाद आज के युग में भी योग का बहुत महत्व रहा है। ऋग्वेद में भी योग को सराहा गया है। पहले ऋषि मुनि कई-कई सालों तक योग साधना में लगे रहते थे और तनाव मुक्त रहते थे। स्वामी विवेकानंद ने भी योग को बहुत महत्व दिया और लोगों को योग का महत्व बता कर जागरूकता फैलाई।

पहले लोग योग को महत्व देते थे अक्सर गांवों में हम देखते हैं कि गांव के लोग सुबह में योग करते हैं और चुस्त और स्वस्थ रहते हैं वह अपनी दिनचर्या की शुरूआत ही योग से करते हैं, उनको बीमारियां भी कम ही होती है। लेकिन गांवों के मुकाबले शहरों में योग का महत्व कम होता जा रहा है, यहां के लोग जीविका अर्जित करने में इतने व्यस्त है कि उनके पास योग के लिए थोड़ा समय निकालना भी असंभव सा हो गया है, उनका जीवन यापन भाग दौड में बीत रहा है उसका परिणाम यह है कि कई बीमारियां उनके शरीर में घर कर रही है।

पुराने युग में ऋषि महर्षि योग द्वारा मस्तिष्क कुंडलीत कर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बात कर लेते थे चाहे वह कितने किलोमीटर दूर बैठा हो । उस प्रणाली के सामने तो आज का सूचना तकनीकी तंत्र एवं इंटरनेट भी असफल है। आज उस प्रणाली के बारे में तो अनभिज्ञता है परंतु रोग निदान के लिये योग का प्रयोग तो उच्च स्तर पर है। आज विज्ञान भी मानने लगा है कि योग ने चमत्कारी परिवर्तन समाज में लाये है।

वर्तमान में कई संस्थाएं भारत के योगा का प्रचार प्रसार कर रही है जिनका कार्य प्रशंसनीय है। बड़े-बड़े योग चिकित्सा केंद्र भी भारत में चल रहे हैं जो प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से जटिल से जटिल रोगा का निदान उपलब्ध करवा रहे है। कई संस्थाएं योगा में अग्रिम अनुसंधान का प्रयास कर रही है। चूंकि योगा भारत की संपूर्ण विश्व की देन है, अतः योगा के प्रति अधिकाधिक ध्यानाकर्षण आवश्यक है।

यह भी पढ़ें : अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 : International Yoga Day 2022

योगा के महत्व को बढ़ाने के लिए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग का एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बनाने के लिए 195 सदस्यों की महासभा में प्रस्ताव किया था, जिसको 175 देशों के सदस्यों ने सहमति दी और 21 जून, 2015 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित कर दिया और तब से हर वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाएगा। इसके बाद देश-विदेश में योग के महत्व के लिए लोगों को जागरूक किया गया और योग का महत्व लोगों को समझ आने लगा। इसमें बताया गया कि अगर रोज की दिनचर्या से अगर हम थोड़ा समय योग के लिए निकालेंगे तो स्वस्थ और तनाव मुक्त रहेंगे। हमारे प्रधानमंत्री जी का इसमें बहुत योगदान रहा है जिनके कारण पूरे विश्व में योग क्या है; जाना जाने लगा।

योग के महत्व निम्नलिखित है :

  1. योग करने से हम फिट रहते हैं।
  2. योग करने से हम तनावमुक्त रहते हैं
  3. योग से रक्त प्रवाह ठीक रहता है।
  4. योग से मोटापा नहीं आता।
  5. योग से शरीर लचीला रहता है।
  6. योग से माँसपेशियों का दर्द ठीक रहता है।
  7. योग से बी.पी. की समस्या से भी छुटकारा मिलता है।
  8. योग के द्वारा कई बीमारियां जैसे अस्थमा, हृदय रोग यहां तक की कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से निजात पाया जा सकता है।
  9. योग से सकरात्मकता आती है किसी के बारे में गलत विचार नहीं आते।
  10. जब हम योग करते है तो दीन दुनिया को भूल बिल्कुल तनाव मुक्त हो जाते है, और उससे दिमाग भी स्वस्थ रहता है जो कि इस भाग-दौड की जिंदगी में बहुत जरूरी है।
  11. ऐसा नहीं है जो मोटे है उनको ही योग करना है, योग सभी के लिए है, पतलों को भी तंदुरुस्त और स्वस्थ रहने के लिए योग करना जरूरी है।

12.योग से दिमाग शांत रहता है और शरीर में एक स्फूर्ति और ताजगी भरता है।

  1. सुबह में योग करने से पूरा दिन हम चुस्त महसूस करते है और काम से थकावट भी नहीं होती।
  2. आज के दौड भाग वाले जीवन में योग रामबाण है हम सबके लिए।
  3. कम्प्यूटर पर दिन भर काम करने से सरवाइकल का दर्द होने लगता है लेकिन योगा करने से वो दर्द भी छू मंतर हो जाता है।
  4. जिनकी आंखों से दिखना कम होने लगता है वो अगर समय पर योगा कर ले तो नेत्र ज्योति वापिस आ सकती है।

कुछ योग क्रियाओं के लाभ

  1. सूर्य प्रणायाम अगर पूरे दिन में एक बार भी यह सुबह सूर्योदय होने पर कर लेंगे तो शरीर के लिए बहुत अच्छा है।
  2. ताड़ासन इसमें पंजों के बल खड़े होकर दोनों हाथ ऊपर कर ले हाथ पैर का दर्द कम होता है इससे और मांसपेशिया ठीक रहती है।
  3. वज्रासन में घुटनों को मोड़ कर ऐडियों के ऊपर बैठ जाए तो आराम मिलता है, और अगर खाना खाने के बाद यह आसन करें तो खाना जल्दी पच जाता है।
  4. मेरुदंड आसन गठिया जैसे रोगों के लिए ठीक रहता है।
  5. शीर्षासन इसमें सिर के बल खड़े होना होता है, रक्त प्रवाह ठीक रहता है।
  6. श्वासन श्वासन में शव की तरह लेटना होता है, इससे रक्त प्रवाह बी. पी. ठीक रहता है मस्तिष्क शांत रहता है।
  7. वक्रासन से भी शरीर का पाचन ठीक रहता है।
  8. सिहासन से भी गर्दन गले का दर्द ठीक रहता है।
  9. भुजंगासन से हाथ, गर्दन, कमर का दर्द ठीक रहता है। इसमें दोनों हथेलियों के बल पर नाभि तक शरीर को उठाना होता है।

और भी कई आसान है जिनके प्रयोग से हम अपने स्वास्थ्य में सुधार ला सकते है जैसे विलोम अनुलोम और कपाल भाति से शरीर में किसी भी रोग से मुक्ति मिल सकती है।

अलोम विलोम में एक नाक से लंबी साँस लेकर दूसरी नाक से छोड़नी होती है, जब एक नाक से साँस ले तो दूसरी नाक को अंगुली से दबा कर रखे और जब दूसरी नाक से सांस लें तो पहली नाक को दबा कर रखे। कपाल भाती प्रणायाम में दोनों नाक से सांस बाहर छोड़नी होती है थोडा जल्दी जल्दी इससे शरीर के टॉक्सिकैंट बाहर निकलते हैं, और पेट से संबंधित विकार भी दूर होते हैं, वैसे आजकल ये दोनों योग लोग अपनी रोज की दिनचर्या में शामिल कर रहे हैं और लोगों को इसका फायदा भी हो रहा है।

अगर हम रोज योग को अपनी दिनचर्या में शामिल कर ले तो हमें डाक्टर के पास जाने की जरूरत ही न पड़े। आज के प्रदूषण भरे माहौल में योग के द्वारा ही हम स्वस्थ रह सकते है जितना हो सके योग का प्रचार करे उसके फायदे लोगों को बताए, वैसे तो स्कूलों आदि में योग शिक्षा दी जा रही है, अब टीवी पर भी योग चैनल है वहां से हम योग सीख सकते हैं, मनोरंजन द्वारा योग सिखाकर हम लोगो में उत्साह बढ़ाते है, योग से संबंधित किताबे भी बाजार में उपलब्ध है।

उपसंहार – यदि व्यक्ति जीवन को उन्मुक्त बनाना चाहता है तो योगा सर्वश्रेष्ठ साधन है। इस क्षेत्र में अभी और अनुसंधान बाकी है। योग साधना अपने आप में ईश्वरीय भक्ति का प्रतिपूरक है, जब प्राचीन युग में ईश्वर की प्राप्ति संभव थी तो स्वस्थ जीवन तो एक तुच्छ सी बात है। अभी लोगों को इस योग साधना के प्रति भ्रांतियाँ है जिनका उचित शिक्षा प्रसार द्वारा निदान परमावश्यक है। अभी योग सभी लोगों की पहुंचसे दूर है, स्थानीय सरकारों को चाहिए कि भारतवासियों को स्वस्थ बनाने के लिये योग शिक्षा का प्रचार प्रसार मुफ्त में करवायें, जागृति लाये। समाज को स्वस्थ बनाये। क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। मंजिल दूर है पर प्रयासों के आगे असंभव नहीं।

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