Monday, May 20, 2024
HomeReligionगुरु पूर्णिमा 2022 : गुरु की महिमा का दिन

गुरु पूर्णिमा 2022 : गुरु की महिमा का दिन

गुरु पूर्णिमा 2022 : गुरु की महिमा का दिन = देव शयनी ग्यारस के साथ ही हिंदू धर्म में त्योहारों का आगमन शुरू हो जाता है। इसी दिशा में अगला त्योहार गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुरुओं का सम्मान किया जाता है। इसीलिए इसे गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। भारत देश के त्योहारों में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हिंदू व सिख धर्मों में गुरु का एक अलग ही स्थान है। गुरु को सबसे ऊपर माना जाता है।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन अपने गुरुओं के आदर सम्मान करने का विधान है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर पर जुलाई– अगस्त के महीने में यह त्यौहार आता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई 2022 बुधवार को मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु या शिक्षक के महत्व को ध्यान मे रखते हुए मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा एक प्रसिद्ध भारतीय पर्व है। इसे हिंदू एवं बौद्ध हर्ष व उल्लास के साथ मनाते हैं। गुरु पूर्णिमा गुरु के प्रति श्रद्धा व समर्पण का पर्व है।

इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। शिव पुराण के अनुसार 18वें द्वापर युग में आज के दिन ही भगवान विष्णु के अंशावतार वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। वेदव्यास जी को प्रथम गुरु की उपाधि दी गई है क्योंकि उन्होंने पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान करवाया था। वेदव्यास जी ने महाभारत सहित 18 पुराणों और 16 शास्त्रों की रचना की। इन ग्रंथों में से श्रीमद भगवत महापुराण सबसे बड़ा ग्रंथ माना जाता है। वेदव्यास के अनेक शिशु में से पांच शिष्यों ने गुरु पूजा की परंपरा शुरू की।

गुरु पूर्णिमा 2022 की तिथि व शुभ मुहूर्त

 गुरु पूर्णिमा तिथि – 13 जुलाई 2022 वार बुधवार

 आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ –  13 जुलाई सुबह 4:01 से शुरू

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि की समाप्ति – 14 जुलाई रात 12:07 पर

गुरु पूर्णिमा 2022 का महत्व

 हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु अर्थात अध्यापक की पूजा के लिए समर्पित होता है। चाहे वह गुरु हमारे अध्यापक हो या अन्य कोई व्यक्ति जो हमें गुरु के समान शिक्षा देते हैं। जो व्यक्ति के जीवन में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं। गुरु ही हैं जो व्यक्ति को जीवन में सही और गलत, कल्पना और वास्तविकता का अहसास कराने में मदद करता है। जो व्यक्ति को गलत मार्ग पर चलने से रोकता है और सही मार्गदर्शन करता है।

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के साथ दान पुण्य का अभी काफी अधिक महत्व होता है। इसके साथ ही मंत्रों के साथ अपने गुरुजनों की भी पूजा करनी चाहिए। क्योंकि गुरु ही अंधकार से हमें प्रकाश की राह में लेकर आता है। आज के दिन केवल गुरु ही नहीं बल्कि अपने सभी बड़े सदस्यों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहिए और उनको गुरु के समान समझकर उनका आदर सत्कार करना चाहिए। गुरु पूर्णिमा एक प्रसिद्ध भारतीय पर्व है।

 इस अवसर पर आश्रमों में पूजा– पाठ का विशेष आयोजन किया जाता है। इस पर्व पर विभिन्न क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विभूतियों को सम्मानित किया जाता है। इस दिन स्कूल– कॉलेज में गुरु और शिक्षकों का सम्मान किया जाता है। उनके सम्मान में सभी लोग भाषण देते हैं। कई प्रकार की प्रतियोगिताएं जिसमें गायन, नाटक, चित्र व अन्य कई प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। पुराने विद्यार्थी स्कूल– कॉलेज में जाकर अपने गुरुजनों को उपहार भेंट करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं।

गुरु का वर्णन

तुलसीदास जी के अनुसार

तुलसीदास ने भी रामचंद्र चरित्र मानस में लिखा है

“कि गुरु बिन भवनिधि तरइ न कोई।

जो बिरंचि संकर सम होई”।।

 इसका अर्थ है कि गुरु की कृपा प्राप्ति के बगैर मानव जीवन संसार सागर से मुक्त नहीं हो सकता चाहे वह ब्रह्मा और शंकर के समान ही क्यों ना हो।

गीता के अनुसार

गीता में कहा गया है “ कि जीवन को सुंदर बनाना निष्काम और निर्दोष करना ही सबसे बड़ी विद्या है। इस विद्या को सिखाने वाला ही सद्गुरु कहलाता है।”

स्वामी विवेकानंद के अनुसार

 स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है, कि सद्गुरु वही है जिसे गुरु परंपरा से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त हुई हो। वह शिष्य के पापों को स्वयं अपने ऊपर ले लेता है। वही सच्चा शिक्षक है, वही सच्चा गुरु है।

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है

  गुरु और शिष्य का एक अटूट संबंध है। मनुष्य जीवन में गुरू को देव स्थान प्राप्त है। गुरु के सम्मान और सत्कार के लिए ही इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार भगवान वेद व्यास जी का जन्म आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हुआ था। जिसे आज के समय में गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। भारत देश में भगवान के ऊपर गुरु का महत्व बताया गया है। क्योंकि भगवान का हमारे जीवन में महत्व गुरु के द्वारा ही बताता गया है।

यह माना जाता है कि अच्छे– बुरे संस्कारों, धर्म– अधर्म का ज्ञान हमें गुरु के द्वारा ही प्राप्त होता है। जो हमें गुरु ज्ञान देता है उससे हमारा जीवनमय व आनंदित हो जाता है। और हम बुराई के मार्ग पर ना चलकर अच्छाई के मार्ग पर चलते हैं। इसीलिए गुरु द्वारा दिए हुए ज्ञान का महत्व समझते हुए हमें गुरु का इस दिन आदर सम्मान करना चाहिए। उन्हें गुरु दक्षिणा देनी चाहिए। गुरु के द्वारा कहे गए आचरण का पालन करना चाहिए।

गुरु पूर्णिमा  कैसे मनाए

  • गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह प्रात:काल उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण किए जाते हैं।
  • मंदिर अथवा घरों में बैठकर गुरु की उपासना की जाती है।
  • गुरु के पूजन हेतु कई लोग उनकी फोटो के सामने बैठकर पूजा-पाठ करते हैं।
  • कई लोग ध्यान मुद्रा में रहकर गुरु मंत्र का जाप करते हैं।
  • सिख समाज के लोग इस दिन गुरुद्वारे में जाकर भजन-कीर्तन व पूजा-पाठ करते हैं।
  • गुरु पूर्णिमा के दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं। जिसमें एक वक्त भोजन एवं एक वक्त फलाहार आदि करने का आदि के नियम का पालन किया जाता है।
  • गुरु पूर्णिमा के दिन दान– पुण्य व दक्षिणा का काफी अधिक महत्व होता है। इस दिन सभी लोग अपने गुरुओं के सम्मान कर उन्हें उपहार स्वरूप कुछ भेट देते हैं और उनका आशीर्वाद देते हैं।

गुरु पूर्णिमा का इतिहास

हम सबके जीवन में गुरु का महत्व है। गुरु ही हमारे अंदर से अज्ञानता का अंधकार मिटा कर हमारे अंदर ज्ञान का प्रकाश भरता है। ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन श्री वेदव्यास का जन्म हुआ था। तो उन्हीं के नाम पर इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। उन्होने सभी मानव जाति को पहली बार चारों वेदों का ज्ञान दिया था। पहली बार वेद दर्शन मानव जाति के मध्य लाने की वजह से उन्हे प्रथम गुरु का दर्जा दिया गया था। तब से इस दिन को उनके जन्म दिवस के उपलक्ष में गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।

वेदव्यास के अनेक शिशु में से पांच शिष्यों ने गुरु पूजा की परंपरा की शुरूआत की। उन्होंने गुरू के सम्मान में पूजा की यज्ञ का आयोजन किया। गुरु को पुष्प अर्पित करके नमन किया तथा उनका आशीर्वाद लिया तभी से गुरू पूर्णिमा को इसी प्रकार मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा का श्लोक

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वर:।

 गुरु: साक्षात परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments