Monday, May 20, 2024
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सिंथेटिक बायोलॉजी

सिंथेटिक  बायोलॉजी विज्ञान की एक शाखा है। जिसमें इंजीनियरिंग के सिद्धांतों के अनुप्रयोग द्वारा जीवो को रीडिजाइन किया जाता है।यह अनुसंधान का बहु विषय क्षेत्र है। जो नए जैविक भागो, उपकरणों और प्रणालियों को बनाने के लिए प्रकृति में पाए जाने वाले जैविक पदार्थों को पुनः डिजाइन करने का प्रयास करता है।

दवा, विनिर्माण और कृषि में समस्याओं को हल करने के लिए दुनिया भर में सिंथेटिक जीव विज्ञान शोधकर्ताओं और कंपनियों द्वारा प्रकृति की शक्ति का उपयोग किया जा रहा है।सिंथेटिक बायोलॉजी में विभिन्न विषयों जैसे जैव प्रौद्योगिकी, जेनेटिक इंजीनियरिंग, आणविक जीव विज्ञान, आणविक इंजीनियरिंग, सिस्टम जीव विज्ञान, झिल्ली विज्ञान, बायो फिजिक्स, केमिकल और बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग की विभिन्न तकनीक शामिल है।

अधिक शक्तिशाली अनुवांशिक इंजीनियरिंग क्षमताओं और डीएनए संश्लेषण और अनुक्रमण की लागत में कमी के कारण सिंथेटिक जीव विज्ञान का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है।जीवों को फिर से डिजाइन करना ताकि एक नए पदार्थ का उत्पादन करें ।जैसे की दवाई या ईंधन या एक नई क्षमता प्राप्त करें । सिंथेटिक जीव विज्ञान परियोजनाओ के सामान्य लक्षण है।

एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में सिंथेटिक बायोलॉजी बाजार का मूल्य 6.09बिलियन डॉलर था। जिसे 2022 तक 19.58बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान लगाया है।

सिंथेटिक बायोलॉजी के अनुप्रयोग

  •  पानी, मिट्टी और हवा से प्रदूषण को साफ रखने के लिए सूक्ष्म जीवों में परिवर्तन किया जा रहा है।
  • चावल को बीटा–कैरोटीन(beta-carotene( का उत्पादन करने के लिए संशोधित किया गया। कैरोटीन आमतौर पर गाजर से जुड़ा एक पोषक तत्व होता है। जो विटामिन ए की कमी को रोकता है। विटामिन ए की कमी से हर साल 25 लाख से 50 लाख बच्चे में अंधेपन का शिकार होते हैं।
  • गुलाब के लिए एक पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ विकल्प के रूप में खमीर को गुलाब के तेल का उत्पादन करने के लिए संशोधित संशोधित किया गया है। गुलाब के तेल का उपयोग इत्र बनाने के लिए किया जाता है।
  • सूक्ष्मजीवों और पौधों से जैव ईंधन के उत्पादन हेतु उनके जीनोम मे संशोधन।
  • टीको और एंटीबॉडी के उत्पादन हेतु प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग ।
  • सिंथेटिक बायोलॉजी के द्वारा जीव वैज्ञानिक प्रणाली को संशोधित करके बायोलॉजिकल कंप्यूटर के रूप में उपयोग किया जा सकता है ।
  • इसके द्वारा प्राकृतिक प्रोटीन में परिवर्तन किया जा सकता है।
  • इसके द्वारा अंतरिक्ष यात्रियों के लिए संसाधनों का विकास किया जा सकता है।
  • बायो सेंसर सामान्य सूक्ष्म जीवों का सिंथेटिक बायोलॉजी के माध्यम से परिवर्तित रूप होता है। इसकी सहायता से भारी धातुओं एवं विषाक्त पदार्थों की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है।

सिंथेटिक बायोलॉजी का भविष्य

पिछले 30 वर्षों में प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काफी प्रगति की है। डीएन (DNA)अनुक्रमण की प्रक्रिया तीव्र और सुलभ हो रही है।सिंथेटिक बायोलॉजी के विकास में डीएनए अनुक्रमण कई मामलों में महत्वपूर्ण है।डीएनए अनुक्रमण का प्रयोग कई सिंथेटिक बायोलॉजी अनुप्रयोगों में किया जा रहा है। इसलिए कम लागत पर डीएनए अनुक्रमण तकनीक की उपलब्धता सिंथेटिक बायोलॉजी के आधार पर निर्मित उत्पाद उत्पादों के उत्पादन को बढ़ा रही है।

 डीएनए अनुक्रमण के क्षेत्र में नई तकनीकी प्रगति के शोध कर्ताओं और गैर अनुवांशिक जानकारी संगठित करने के लिए डीएनए का उपयोग करने की करने में सक्षम बनाया है। वर्तमान में सिंथेटिक बायोलॉजी प्रक्रिया के आधार पर सूक्ष्म अणुओं का उत्पादन किया जा सकता है।लेकिन अभी तक इस प्रक्रिया का उपयोग करके निर्मित होने वाले ऐसे अणुओं की संख्या काफी कम है। जिनका औषधियों में प्रभावी उपयोग हो सके।

रोगियों को पहले से ही CAR (chimeric antigen receptor)तकनीक से लाभ हो रहा है ।जो कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन पर हमला करने में रोगियों की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को सक्षम बनाता है।

अगले कुछ वर्षों में अनुवांशिक रूप से संशोधित करके सूअरों को विषाणु प्रतिरोधी बनाया जा सकता है।सिंथेटिक बायोलॉजी के माध्यम से ऐसी कोशिकाओं का निर्माण किया जा सकता है। जो रोग की स्थिति के आधार पर प्रतिक्रिया कर सकें।इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अणुओं की सीमाओं में बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है। अनुवांशिक नियंत्रण कारकों को बेहतर ढंग से समझने वह तैयार करने की जरूरत है।

सिंथेटिक बायोलॉजी एवं जिनोम एडिटिंग में अंतर

कुछ मायनों में सिंथेटिक बायोलॉजी कौर जिनोम एडिटिंग एक समान ही होते हैं। क्योंकि दोनों में किसी जीव के अनुवांशिक कोड में परिवर्तन किया जाता है।हालांकि कुछ विशेषज्ञ इन दोनों में के बीच अंतर बताते हैं ,क्योंकि जीनोम कोर्ट में परिवर्तन करने के तरीके अलग होता है ।

सिंथेटिक जीव विज्ञान में वैज्ञानिक आमतौर पर डीएनए के लंबे हिस्से को एक साथ सिलाई करते हैं। और उन्हें एक जीव के जीनोम में डालते हैं।डीएनए के यह संश्लेषित टुकड़े ऐसे जीन हो सकते हैं। जो अन्य जीवो में पाए जा सकते हैं।

 जीनोम एडिटिंग में वैज्ञानिक आमतौर पर जीव के स्वयं के डीएनए के छोटे परिवर्तन करने के लिए उपकरणों का उपयोग करते हैं। जीव में डीएनए के छोटे स्ट्रेच को हटाने या जोड़ने के लिए जिनोम एडिटिंग टूल्स का उपयोग किया जाता है।

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