गणपति प्रतिमा का विसर्जन का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है। ग्रंथों के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने गणेश चतुर्थी के दिन से भगवान श्री गणेश को महाभारत की कथा सुनाना प्रारंभ किया था। लगातार 10 दिन तक वेदव्यास जी गणेश जी को कथा सुनाते रहे और गणेश जी कथा लिखते रहे।
कथा पूर्ण होने के बाद में श्री वेदव्यास ने आंखें खोली तो देखा कि अत्यधिक मेहनत करने के कारण गणेश जी के शरीर का तापमान बढ़ा हुआ है। तब गणेश जी के शरीर का ताप कम करने के लिए वेदव्यास जी ने पास के सरोवर में गणेश जी को ले गए और उन्हें स्नान कराया। उस दिन अनंत चतुर्दशी थी। इसीलिए अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन करने का चलन शुरू हुआ।
दूसरा कारण यह है कि पृथ्वी के प्रमुख पांच तत्वों (जल, वायु, भूमि, अग्नि, आकाश) में गणपति को जल का अधिपति माना गया है। इस कारण भी लोग गणपति को जल में प्रवाहित करते हैं।
गणपति प्रतिमा के विसर्जन के समय ध्यान रखने योग्य बातें
- गणेश जी का विसर्जन करने से पहले उनकी विधिवत पूजा, अर्चना करने के बाद भगवान को विशेष प्रसाद का भोग लगाएं और श्री गणेश जी का स्वस्तिवाचन करें।
- एक साफ चौकी ले और उसे गंगाजल या गोमूत्र से साफ करके उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं अब उस पर अक्षत रखकर उस पर लाल, पीला या गुलाबी रंग का कपड़ा बिछाए।
- चौकी के चारों ओर सुपारी रखें और कपड़े के ऊपर फूलों की पत्तियां भी डाले। ध्यान रखें कि चौकी के ऊपर लाल रंग के फूलों की पत्तियां ही डालें क्योंकि लाल रंग गणेश जी को बहुत अधिक प्रिय है।
- अब श्री गणेश जी को उनके जयघोष के साथ स्थापना वाले स्थान से उठाएं और तैयार चौकी पर विराजित करें।
- चौकी पर विराजित करने के बाद उनके साथ फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा और पांच मोदक भी रखें।
- किसी साफ नदी तालाब या पोखर के किनारे विसर्जन से पूर्व कपूर की आरती करें।
- श्री गणेश जी से खुशी-खुशी विदाई की कामना करें और उनसे धन, सुख, शांति, समृद्धि और साथ ही मनचाहे आशीर्वाद मांग ले।
- 10 दिन की पूजा अर्चना में जो अनजाने से गलती हुई है उसके लिए श्री गणेश जी से क्षमा प्रार्थना करें।
- श्री गणेश प्रतिमा को पानी में फेंके नहीं बल्कि उन्हें पूरे आदर और सम्मान के साथ वस्त्र और समस्त सामग्री के साथ धीरे-धीरे जल में प्रवाहित करें।
- श्री गणेश प्रतिमा इको फ्रेंडली है तो उन्हें घर में विसर्जित कर अपने गमले में यह पानी डालकर हमेशा के लिए अपने पास रख सकते हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण को रोका जा सकता है।
पुरुषों द्वारा ही क्यों किया जाता है गणपति प्रतिमा का विसर्जन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केवल गणेश विसर्जन ही नहीं बल्कि हर मूर्ति विसर्जन का अधिकार पुरुषों को ही दिया गया है। इसके पीछे अनेक कारण हैं। आइए उन कारणों के बारे में जानते हैं।
- मूर्ति विसर्जन के वक्त का माहौल काफी मार्मिक और गमगीन हो जाता है। इसीलिए वहां पर ऐसे लोगों की उपस्थिति होनी चाहिए। जो कि थोड़े कठोर दिल के हो। इसीलिए महिलाओं को विसर्जन के काम से दूर रखा जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि महिलाओं का ह्रदय बहुत ही कोमल होता है और उनसे किसी की विदाई देखी नहीं जाती।
- पुराने लोगों का कहना है कि जब विसर्जन होता है तो अक्सर लोग वहां पर भांग और मदिरा का पान भी करते हैं। और प्रभु की भक्ति में सुध– बुध खोकर नाचने लगते हैं। ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से भी महिलाओं और लड़कियों को विसर्जन में नहीं होना चाहिए।
- देखा जाए तो मूर्ति विसर्जन का संबंध अंतिम संस्कार से होता है। और हिंदू धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार का हक केवल पुरुषों का ही होता है। इसीलिए मूर्ति विसर्जन का काम महिलाओं से नहीं कराया जाता।
- इसका सबसे मुख्य और अहम कारण यह है कि ऐसे स्थानों पर लोग अक्सर जादू– टोने के शिकार हो जाते हैं। महिलाएं या लड़कियां जल्दी इन चीजों का निशाना बन जाती है। इसीलिए इस काम में पुरुषों का होना बहुत आवश्यक है। बड़े बुजुर्ग लोग ऐसी जगहों पर महिलाओं को जाने से रोकते हैं।
- आज समय बदल गया है। समय बदलने के साथ साथ ही लोगों की सोच भी बदल रही है। इसीलिए प्रथा में बदलाव भी किया जा रहा है। लेकिन जो लोग धर्म पुराण को मानते हैं वह विसर्जन के काम से लड़कियों और महिलाओं को दूर रखने की कोशिश करते हैं। लेकिन आजकल ऐसा नहीं देखा जाता। इसके पीछे कोई जाति विशेष कारण नहीं है। यह एक पुराने जमाने की मान्यता है जिसके अनुसार विसर्जन में महिलाओं को नहीं बल्कि पुरुषों को मान्यता दी गई है।