Monday, May 20, 2024
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पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है

विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस अभियान की शुरुआत लोगों के बीच पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों के बारे में वैश्विक जागरूकता लाने के साथ ही पर्यावरण के लिए सकारात्मक कदम लेने के लिए की गई है। इसका संचालन संयुक्त राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा किया जाता है। पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है इसको मनाने के क्या उद्देश हैं आदि के बारे में हम चर्चा करेंगे।

हर वर्ष पर्यावरण दिवस पर एक थीम विषय पर आधारित होता है। इसके अंदर लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। तथा पर्यावरण संरक्षण के उपाय वा लाभ बताए जाते हैं।

पर्यावरण दिवस की शुरुआत

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को ध्यान में रखते हुए सन 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम स्वीडन में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण चेतना और पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत इसी सम्मेलन में मानी जाती है। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और सभी ने एक ही धरती के सिद्धांत को मानते हुए इस पर हस्ताक्षर किए। इसका मतलब है अगले साल यानी 5 जून 1973 से सभी देशों में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा।

पर्यावरण दिवस मनाने के उद्देश्य

जब संसार में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बढ़ने लगी और संसाधनों की कमी होने लगी। संसाधनों के वितरण से सभी देशों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ने लगा। तो इन सभी पर्यावरणीय समस्याओं को सुलझाने के लिए वैश्विक मंच तैयार किया गया। इस दिवस को मनाने का प्रमुख उद्देश्य पर्यावरण की समस्याओं को मनुष्य के सामने लाना तथा पर्यावरण के प्रति उन्हें जागरूक करना था। साथ ही विभिन्न देशों उद्योगों संस्थाओं और व्यक्तियों की साझेदारी को बढ़ावा देना ताकि सभी मिलकर पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी दे सकें। साथ ही पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।

प्रतिवर्ष बदलते लक्ष्य

पर्यावरण की ज्वलंत समस्याओं को देखते हुए यूएन हर साल इसके लक्षणों को बदलता है। लक्ष्यों के आधार पर ही विश्व पर्यावरण दिवस के साथ ही पूरे साल के लिए एक थीम तैयार की जाती है क्योंकि क्योंकि लोग प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं तकनीक और मशीनों के बहुत अत्यधिक करीब हो रहे हैं।लिहाजा इसे ही ध्यान में रखकर हर साल का लक्ष्य रखा जाता है। इस वर्ष भारत विश्व पर्यावरण दिवस का वैश्विक मेजबान होगा और इस वर्ष आयोजन की थीम Only One Earth रखी गई है।

पेरिस पैक्ट का पर्यावरण से संबंध

ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को स्थिर करने और पृथ्वी को जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के नेतृत्व में 18 पन्नों के एक दस्तावेज पर सभी सदस्य देशों के हस्ताक्षर किए गए अभी तक इसमें 197 सदस्य देश शामिल है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986

19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। इसमें जल, वायु, भूमि इन तीनों से संबंधित कारक तथा मानव, सूक्ष्मजीव तथा अन्य जीवित पदार्थ आदि पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखते हुए पर्यावरण दिवस मनाने का महत्व बताया गया है।

यह भी पढ़ें : विश्व पर्यावरण दिवस 2022 : World Environment Day 2022

  • पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण हेतु सभी आवश्यक कदम उठाना।
  • पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक निर्धारित करना।
  • पर्यावरण सुरक्षा से संबंधित अधिनियम के अंतर्गत राज्य सरकारों अधिकारियों और संबंधों के काम में समन्वय स्थापित करना।
  • पर्यावरण प्रदूषण के निवारण नियंत्रण और रोकथाम हेतु राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना और उसे क्रियान्वित करना।
  • ऐसे क्षेत्रों का परिसीमन करना जहां पर उद्योग की स्थापना या औद्योगिक गतिविधियां संचालित की जा सके। वहां का दौरा कर वहां पर औद्योगिक गतिविधियां करने वाले लोगों को कठोर दंड देना।
  • पर्यावरण को दूषित करने वाले लोगों के प्रति कानूनी कार्रवाई करना।
  • लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • पर्यावरण के महत्व को समझाते हुए लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना।

वृक्षों का महत्व

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि+आवरण। इसका अर्थ है हमारे चारों तरफ का वातावरण । जिसमे हम रहते हैं। पर्यावरण हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है।

जब से धरती पर वृक्षों का अस्तित्व रहा है। तब से आज तक वृक्षों ने अपने धर्म का ईमानदारी से पालन किया है। ईश्वर ने उन्हें जो काम सौंपा था। वे उसे बखूबी से निभाते रहे हैं वृक्ष ही ईश्वर के सच्चे उपासक माने जाते हैं। सभी प्राणियों को संभालते हुए प्रदूषण को रोकने और जलवायु तथा वातावरण के संतुलन को बनाए रखने का कार्य करते।

हिंदू धर्म में प्रकृति के सभी तत्वों की पूजा और प्रार्थना का प्रचलन और महत्व है। हिंदू धर्म मानता है, कि प्रकृति ही ईश्वर की पहली प्रतिनिधि है क्योंकि हमें पेड़ पौधों से सभी प्रकार की वनस्पतियां और जलवायु मिलती है। इसीलिए हमें पर्यावरण को पर्यावरण का संतुलन बनाए रखकर पर्यावरण प्रदूषण को रोकना चाहिए।

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